
तो दोस्तों एचआईवी यानी कि ह्यूमन इम्यून डीसी-एफिशिएंसी वायरस दुनिया भर में एक मेजर हेल्थ कंसर्न बन रहा है। यह वायरस 200 इम्यून सिस्टम को कमजोर बना देता है जिससे कि बॉडी इनफेक्शंस और दोस्तों कुछ स्पेसिफिक कैंसर से लड़ नहीं पाती। लेकिन दोस्तों अब वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशंस ने दोस्तों एक नई दवा को ग्रीन सिग्नल दे दिया है जो कि साल में सिर्फ दो बार लगानी पड़ेगी। यह दवा एचआईवी के ट्रीटमेंट और प्रिवेंशन दोनों के लिए एक गेम चेंजर बन सकती है। ऐसे समय में दोस्तों जब भी कोई एचआईवी के लिए एक लांग टर्म और इफेक्टिव सॉल्यूशन ढूंढ रहा है, यह दवा दोस्तों एक रिवॉल्यूशनरी स्टेप के रूप में सामने आई है।
एचआईवी और अब तक का ट्रीटमेंट मॉडल

दोस्तों, एचआईवी का ट्रीटमेंट अब तक ज्यादातर लोगों के लिए एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी पर डिपेंड करता था। पेशेंट को हर दिन एक या कई गोलियां लेनी पड़ती थीं जिसका स्ट्रिक्ट रूटीन फॉलो करना होता था। अगर एक वीडियो में हो जाता था, तो दोस्तों, वायरस वापस एक्टिव हो सकता था या रूटीन बहुत ही ज्यादा डिमांडिंग था और कई लोग इसे रेगुलर फॉलो नहीं कर पाते थे। इस वजह से कई बार वायरस से रेजिस्टेंस हो जाता था और ट्रीटमेंट भी फेल हो जाता था
इसके अलावा दोस्तों, हर रोज दवाई लेने का साइकोलॉजिकल इंपैक्ट भी होता था। पेशेंट को लगता था कि वह एचआईवी से कभी भी आजाद नहीं हो पाएगा। इस सब के बीच में दोस्तों, एक ऐसी थेरेपी की जरूरत महसूस हो रही थी जो कम लिफ्ट फ्रिक्वेंट हो, इफेक्टिव हो, और पेशेंट फ्रेंडली हो। अगर इसी डिमांड को देखते हुए वे एक नई लॉन्ग-एक्टिंग इंजेक्शन थेरेपी को अप्रूव कर दें।
नई दवा का नाम और काम करने का तरीका

दोस्तों, होने ने इस नई दवा को अप्रूवल दिया है और उसका नाम लेना कैपावीर है। यह एक लोंॉन्ग-एक्टिंग इंजेक्टेबल एचआईवी ड्रग है जिसे सिर्फ साल में दो बार ही लगाया जाएगा। लेना कैपावीर एचआईवी के वाइरस को मल्टिप्लाई करने से रोकता है जिससे कि वायरस बॉडी में फैल नहीं पाता। इसका काम एक कैप्सिड इंसिबिटर के रूप में ही होता है, यानी कि यह वायरस के सेल या फिर आउटर कवर के फंक्शनिंग को डिस्टर्ब करता है।
लेने कैफे वीर का इंजेक्शन स्क्रीन के नीचे लगाया जाता है और इसका इफेक्ट बहुत ही ज्यादा लोंग लास्टिंग होता है। यह स्लो रिलीज टेक्नोलॉजी पर काम करता है जिसमें की दवा धीरे-धीरे ब्लड स्ट्रीम में रिलीज करी जाती है और एक कंसिस्टेंट लेवल पर एचआईवी को सब प्रेस करती है। इस वजह से इस बार लेने की जरूरत नहीं होती और कंप्लेंट बढ़ता है
क्या है इस दवा के फायदे

दोस्तों, सबसे बड़ा फायदा यह है कि सिर्फ 6 महीने में एक बार इंजेक्शन लगवाना होता है। इसका मतलब है कि पेशेंट को रोज या फिर महीने में बार-बार दवाई या फिर क्लीनिक में जाना नहीं पड़ेगा। यह स्पेशली उन लोगों के लिए काफी ज्यादा मददगार है जिनकी लाइफ काफी ज्यादा बिजी है और जिनके पास हेल्थ फैसेलिटीज तक रेगुलर एक्सेस नहीं है। दूसरा मेजर बेनिफिट, दोस्तों, उसका यह भी है कि इसमें आपको स्टिग्मा डिटेक्शन मिलता है। कई लोग एचआईवी होने के बाद जैसे सोशल प्रेशर और डिस्क्रिमिनेशन फील करते हैं; रोजाना दवाई लेना उनके लिए एक डेली रिमाइंडर होता है। जब ट्रीटमेंट से 6 महीने में एक बार हो तो यह इमोशनल स्टेटस भी काफी ज्यादा कम कर देता है।
इसके अलावा दोस्तों, क्लिनिकल ट्रायल्स में यह प्रूफ हो चुका है कि इस दवाई का वायरल ऑपरेशन बहुत ज्यादा स्ट्रांग है और इसके साइड इफेक्ट भी लिमिटेड हैं। यह दवाई उन पेशेंट के लिए भी काम करती है जिनके बॉडी में दूसरी एंटीबायोटिक वायरल ड्रग इफेक्टिव नहीं हो रही है।
प्रिवेंशन के लिए भी हो सकती है उपयोगी

दोस्तों, लेना कैफे वीडियो सिर्फ एचआईवी पॉजिटिव लोगों के ट्रीटमेंट के लिए ही नहीं है बल्कि एचआईवी से बचाव के लिए भी काम में आ सकती है। फ्री एक्सपोजर प्रॉफिट के रूप में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है, यानी कि ऐसे लोग जिनका एचआईवी होने का खतरा ज्यादा है, वे इस इंजेक्शन के जरिए से वायरस से बच सकते हैं।
हो का मानना है कि अगर यह थैरेपी ग्लोबल लेवल पर रीच करे तो नहीं, एचआईवी के केस में भी सिग्निफिकेंट ड्रॉप आ सकता है। हाई रिस्क ग्रुप जैसे कि सेक्स वर्कर्स कम्युनिटी या फिर ड्रग यूजर्स के लिए यह प्रिवेंशन मेथड काफी ज्यादा ताकतवर हो सकता है।
इसकी एबिलिटी और कास्ट क्या होगी?
दोस्तों, अब जब WHO ने दावा को अप्रूवल दे दिया है तो अगला स्टेप है कि हर कंट्री अपने हेल्थ अथॉरिटी के जरिए से इस दवा को प्रूफ करे और मार्कशीट में लॉन्च करे। अभी इनिशियल रिपोर्ट के मुताबिक यह दवा सिर्फ US और यूरोप में ही लिमिटेड स्केल पर उपलब्ध है, लेकिन दोस्तों, डेवलपिंग कंट्री जैसे कि इंडिया के लिए सबसे जरूरी इशू होगा इसका कॉस्ट लेना, क्योंकि वीर की प्राइस अभी काफी ज्यादा हाई है क्योंकि यह एक नई टेक्नोलॉजी प्रवेश है, लेकिन दोस्तों, ग्लोबल हेल्थ ऑर्गेनाइजेशंस और फार्मा कंपनी मिलकर इस दवा को लो कॉस्ट वर्जन में लाने की पूरी कोशिश कर रही हैं। जैसे-जैसे प्रोडक्शन बढ़ेगा और डिमांड बढ़ेगी, वैसे-वैसे प्राइस में भी काफी ज्यादा कमी आने की संभावना है।
इंडिया-वेस्टइंडीज में जहां पर एचआईवी पेशेंट की संख्या लाखों में है, वहां पर अगर यह थैरेपी अफॉर्डेबल हो जाए तो यह, दोस्तों, एक रिवॉल्यूशन ला सकता है। सरकार और एनजीओ को जो इस पर काम करना होगा ताकि यह दवाई ग्राउंड लेवल तक पहुंच सके।
लॉन्ग टर्म इंपैक्ट ऑफ़ फ्यूचर का आउटलुक क्या है

दोस्तों, यह नई दवा एचआईवी ट्रीटमेंट के फ्यूचर को डिफाइन करने वाली है। जब एक पेशेंट को 6 महीने में एक बार क्लिनिक में जाना पड़ेगा, तो उसकी क्वालिटी ऑफ लाइफ इंप्रूव होगी। इससे हेल्थ सिस्टम पर लोड भी काम होता है और मॉनिटरिंग भी सिंपलीफाइड हो जाती है। अगले कुछ सालों में और भी कुछ लोंॉन्ग-लास्टिंग थेरेपी जाने की उम्मीद है, जैसे कि इंप्लांट, मंथली लोकल फील्स, और भी ज्यादा इन्नोवेटिव ड्रग डिलीवरी मेथड। एचआईवी के ट्रीटमेंट का गोल सिर्फ वायरस ऑपरेशन नहीं है बल्कि एक दिन का उसका कंप्लीट यह रजिस्ट्रेशन भी है, जो कि जैसे स्टेप इन्फेक्शन में एक बड़ा कदम है।
निष्कर्ष
लेनकैफवीर की अप्रूवल एचआईवी के ट्रीटमेंट और प्रिवेंशन दोनों के लिए एक नई एरा की शुरुआत है। साल में सिर्फ दो बार लगे लगने वाले इंजेक्शन उन पेशेंट्स के लिए एक ब्लेसिंग बन सकते हैं जो कि रोजाना दवाई नहीं ले पाते होते यह कदम हेल्थ केयर इनोवेशन के लिए एक स्ट्रांग एग्जांपल है जिससे ग्लोबल लेवल पर एचआईवी के केसेस में काफी ज्यादा कमी लाई जा सकती है
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. लेनकापाविर क्या है?
लेनकापाविर एक लंबे समय तक काम करने वाली एचआईवी दवा है जिसे किसने मंजूरी दी है। ये साल में सिर्फ 2 बार लगता है और एचआईवी वायरस की प्रतिकृति को रोका गया है।
Q2. क्या ये दवा एचआईवी का इलाज कर सकती है?
नहीं, ये दावा एचआईवी का पूरा इलाज नहीं है। लेकिन ये वायरस को प्रभावी ढंग से दबाता है ताकि मरीज स्वस्थ रहे और वायरस सक्रिय न हो।
Q3. इसका कोई साइड इफेक्ट क्या है?
क्लिनिकल परीक्षण के अनुसार, कुछ मामूली दुष्प्रभाव जैसे इंजेक्शन साइट पर दर्द, थकान, फिर सिरदर्द हो सकता है। लेकिन गंभीर दुष्प्रभाव दुर्लभ हैं।
Q4. क्या ये रोकथाम के लिए भी काम करेगी?
हां, उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए लेनाकापाविर का उपयोग प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीआरईपी) के रूप में भी किया जा सकता है।