तो दोस्तों डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो कि आज हर तीसरे घर में देखने को मिल ही जाती है लोग इससे अक्सर सिर्फ ब्लड शुगर से जोड़कर देखते हैं लेकिन दोस्तों असल में यह पूरी बॉडी के ऑर्गन्स पर काफी ज्यादा असर डालने वाली बीमारी है यह सिर्फ एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर नहीं बल्कि एक साइलेंट किलर भी है जो की धीरे-धीरे बॉडी के इंपोर्टेंट सिस्टम को काफी ज्यादा डैमेज करने लगती है लेटेस्ट मेडिकल स्टडीज के अकॉर्डिंग देखा जाए तो दोस्तों 80 परसेंट डायबिटीज पेशेंट एक और बड़ा लेकिन डेंजरस प्रॉब्लम से जूझ रहे हैं और दोस्तों वह है डायबिटीज न्यूरोपैथी यानी कि दोस्तों नर्वस सिस्टम डैमेज।

क्या है डायबिटीज neuropathy कैसे करता है यह हमला
दोस्तों डायबिटीज न्यूरोपैथी का मतलब है नर्वस का डैमेज होना स्पेशली दोस्तों 1920 का जो कि हमारे पैर हाथ और इंटरनल ऑर्गन्स को कंट्रोल करती है जब भी तो सुबह शुगर कई सालों तक कंसिस्टेंट दिखाई रहती है तो दोस्तों वह ब्लड वेसल्स और नर्वस दोनों को डैमेज करने लगती है नर्वस में ब्लड सप्लाई डीसृप्त होती है जिसकी वजह से उनका काम ठीक से नहीं हो पता यह समस्या सबसे पहले पैरों में महसूस होती है पेशेंट को जल जलता लगता है घुटनों के नीचे सूजन या फिर टॉगलिंग होती है और धीरे-धीरे दर्द और कमजोरी बढ़ने लगती है।
यह समस्या दोस्तों इतनी ज्यादा साइलेंटली डेवलप होती है जो कि कई बार लोगों को पता भी नहीं चलता और दोस्तों जब सिम्टम्स नोटिस होते हैं तब तक काफी ज्यादा नुकसान और देर हो चुकी होती है पेशेंट को चलने में काफी ज्यादा दिक्कत पैरों का सेंसेशन कम होना रात में पर ज्यादा जलन या फिर कभी-कभी टच फुल ना होना जैसे सिम तुम सोने लगते हैं कुछ लोगों को दोस्तों बैलेंस बनाए रखने में भी काफी ज्यादा समस्या आने लगती है जिससे कि गिरने का रिस्क काफी ज्यादा बढ़ जाता है।

क्यों बढ़ रही है डायबिटीज यह समस्या 80% मरीजों में
दोस्तों इसका सबसे बड़ा कारण है अनकंट्रोल्ड जो डायबिटीज जब भी दोस्तों लोग अपने ब्लड शुगर लेवल को हल खा लेते हैं तो दोस्तों रेगुलर मॉनिटरिंग नहीं करते डाइट और मेडिसिन समय पर नहीं लेते तो दोस्तों ग्लूकोस लेवल काफी तक कंटीन्यूअस हाई रहता है यह हाई ग्लूकोस ग्रैजुअली बॉडी की स्मॉल ब्लड वेसल्स को डैमेज करने लगता है जिसका काम होता है निर्वस्त्रेक ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट पहुंचाना जब दोस्तों यह सप्लाई रूकती है तो निर्भय भी होने लगती है।
दूसरा सबसे बड़ा कारण है सेडेंटरी लाइफ़स्टाइल आज के समय में दोस्तों फिजिकल एक्टिविटी काफी ज्यादा काम हो गई है लोग ज्यादातर फोन में ही लगे रहते हैं वॉक नहीं करते स्क्रीन टाइम काफी ज्यादा बढ़ गया है और दोस्तों स्ट्रेस भी उतना ही ज्यादा हाई है यह सब मिलकर दोस्तों डायबिटीज को और भी ज्यादा वोट्स करते हैं साथ ही में दोस्तों के लोगों में विटामिन बी12 डिफिशिएंसी भी देखी गई है जो की नर्वस के लिए क्रिटिकल होता है और दोस्तों कुछ मेडिसिंस भी ऐसे होते हैं जो की नर्वस को इनडायरेक्ट डैमेज करते हैं जैसे की मेटाफार्मिंग का लॉन्ग टर्म उसे v12 लेवल कम कर सकता है।

समय पर ध्यान नहीं दिया तो क्या हो सकता है
दोस्तों अगर डायबीटिक न्यूरोपैथी का समय पर ट्रीटमेंट या फिर कंट्रोल नहीं कर गया तो इसका नुकसान काफी ज्यादा गहरा हो सकता है पैरों में नंबर नस होने की वजह से छोटी सी छोटी चोट भी फील नहीं होती है और इनफेक्शंस भी होने का काफी ज्यादा रिस्क बढ़ जाता है यही इनफेक्शंस अगर समय पर ट्वीट ना किया गया हो तो वह गैंग्रीन में कन्वर्ट हो सकता है जिसका और रिजल्ट होता है एंप्यूटेशंस यानी किसी बॉडी पार्ट को काटना।
इसके अलावा दोस्तों ऑटोनॉमिक न्यूरोपैथी भी हो सकती है जो की हार्ट रेट डाइजेशन ब्लैडर और एवं यौन फंक्शंस को भी इफेक्ट करती है इस कंडीशंस में दोस्तों पेशेंट को कभी-कभी घबराहट पेट का खाली न होना या फिर यूरिन कंट्रोल न होना जैसे प्रॉब्लम्स का सामना पड़ सकता है यह सब क्वालिटी आफ लाइफ को दोस्तों बहुत बुरी तरह कहते इनफैक्ट करता है।
इस खतरे से कैसे बचा जा सकता है
तो दोस्तों सबसे पहले और सबसे आसान रूल है ब्लड शुगर कंट्रोल में रखो रेगुलर मॉनिटरिंग करो hba1c टेस्ट हर 3 6 महीने में करते रहो डॉक्टर के एडवाइस के अकॉर्डिंग मेडिसिन समय पहले जरूरी है इंसुलिन हो या फिर टैबलेट उनको स्किप मत करो साथ ही में दोस्तों अपनी जिंदगी को इंप्रूव करो हर दिन काम से कम 30 मिनट तक चलना फिर ना करो जंक फूड से दूर रहो और बैलेंस डाइट को फॉलो करो।
विटामिन बी12 ऑडी 3 के लेवल पर भी दोस्तो समय तू समय पर चेक करते रहो क्योंकि इनकी कमी भी मदद को असर करती है और अगर सिमटेम्स शुरू हो गए हैं जैसे की जोड़ी में जलन सुजान या एफआईआर सुन्नता तो दोस्तों टूरेंट डॉक्टर को दिखाओ शुरूआती उपचार से न्यूरोपैथिक को मैनेज करने योग्य बनाया जा सकता है।
आज के समय में दोस्तों कई तरह के नर्क सपोर्ट सप्लीमेंट्स माइल्ड पेन रिलीज थैरेपीज और साइकोथेरेपी इस ऑप्शंस अवेलेबल है जो की कंडीशंस को कंट्रोल करने में काफी ज्यादा मददगार है लेकिन दोस्तों शर्त यही है कि पेशेंट को टाइम पर Savdhaan रहना चाहिए।

निष्कर्ष
डायबिटीज के साथ जीना मुश्किल नहीं बस उसके हर एंगल को समझना जरूरी है सिर्फ शुगर लेवल देखना काफी नहीं होता उसका इंपैक्ट प्रिंटर नस पर हाथ पर किडनी पर पड़ता है 80% डायबिटीज अगर आज नहीं और पैसे कर रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि सब कुछ खत्म हो गया है बल्कि यह एक वार्निंग बल है कि अब वक्त आ गया है अपनी हेल्थ को प्रति सीरियस लेने का।
